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Showing posts from 2017

मुसीबत मे भारतीय ताइक्वांडो

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भारतीय ओलंपिक संघ और देश के समस्त खेल से जुडे लोगो कि उम्मीद छोड़िये , ये एक समान्य वकील की समझ का भी उम्मीद नही पूरा कर सके । किसी भी समान्य व्यक्ति भी तर्क दे सकता है ऐसे बिना सिर पैर का काम कोई कैसे कर सकता है, किस समझ के साथ किया आईये कोशिश करते है समझने की दोनों ही तर्क परे है, श्री चेतन आनंद की चिट्ठी में कोई साफ तर्क नही है और किसी भी वकालत के ज्ञाता के पास भी शायद श्री प्रभात शर्मा की चिट्ठी का कोई तर्क हो , ऐसा लगता है कि जैसे मुकदमे की कमी हो गई है इन दोनों वकीलों को तो आपस मे ही एक दूसरे के साथ वकील - वकील खेलने लगे , टायक्वोंडो खेल को अपना कोर्ट बना लिया । लेकिन इनके वजह से देश के खिलाड़ियों का कितना नुकसान हो रहा है । एक वकील होने का बाद भि ऐसे बिना सिर पैरों की बात कोई कैसे कर सकता है ।  खैर इनके ऐसा करने का सिर्फ एक ही कारण है वो ये की ये साफ मन के नही है , पद है पर दायित्व का एहसास नहीं है, इन्हें अध्यक्ष और सचिव पद मिलने के बाद प्रतिस्ठा समझ आया पर बेहतर करने की परिक्षा नही समझ आया। ढेरों तर्क देकर प्रभात शर्मा को चेतन आनंद उन्हें सचिव पद से हट...

Taekwondo Black Belt a Black money Game

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A few years back belt was an honor that an athlete used to earns by his hard work and dedication. Technically it takes 2 years and 2 months to be a black belt from a white belt. It was pride which an athlete uses to dream when I had started Taekwondo in the year 2004 whatever I have witnessed is completely opposite from today's scenario. The only good thing is that the fee which was ₹5500 is now ₹4500 but the criteria and everything has been completely changed. Now hardly any Athlete goes with the procedure to be a black belt from his / her white belt and people are enjoying this eagerness & actually it's a money game which is been created. My time at the beginning of my career I have given a tough fight to a black better being a white, Yellow & green belt holder, I would have never been a black belter if there would not the foolish rule of being a black belt to compete in Championship. Many times I have won against a black belt player being a color b...

उत्तर प्रदेश में टायक्वोंडो ख़िलाड़ी और प्रशिक्षक का लगातार शोषण

पिछले तीन वर्षों से जारी है मासूम खिलाड़ियो का शोषण । बात की शुरुवात तब से हो चुकी थी जब से भारतीय टायक्वोंडो महासंघ में विवाद हुआ था । उत्तर प्रदेश में भी दो ग्रुप बन गये इन सारी बातो का उल्लेख अपने आर्टिकल /ब्लॉग में कर चुका हूं ।  पर चुभने वाली बात यह है कि भारतीय महासंघ में अब कोई विवाद नहीं फिर भी यह खेल क्यों खेल कर खिलाड़ियो का शोषण किया जा रहा है ।  वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में दो -दो तैक्वॉण्दो संघ है जो की एक ही महासंघ का हिस्सा होने का दावा कर रही है और इनके वजह से सिर्फ खिलाड़ियो का नुकसान है , उनकी पूरी मेहक़्न्त व्यर्थ हो रही । नेपाल जैसे बहुत छोटे से देश से खिलाडी ओलिम्पिक में प्रतिभाग कर रहे है और उत्तर प्रदेश और हिंदुस्तान से कोई भी टायक्वोंडो के लिए कोई भी ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई तक नहीं कर पा रहा , पर किसी को शर्म नहीं ।