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Showing posts from 2020

राहुल द्रविड़ - - विनम्रता और शालीनता की एक पहचान

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 'जेंटलमैन' की विनम्रता   बात जनवरी  2017 की है। पूर्व भारतीय क्रिकेट कैप्टन राहुल द्रविड़ को बंगलुरू विश्वविद्यालय ने  27 जनवरी को होनेवाले अपने 52 वें दीक्षांत समारोह में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान करने के लिए आमंत्रित किया। राहुल ने यह प्रस्ताव विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया और कहा - " मेरी माँ आर्ट्स की प्रोफेसर हैं और उन्होंने डॉक्टरेट की डिग्री पाने के लिए पचास वर्ष की होने तक धैर्यपूर्वक इंतज़ार किया है। मेरी पत्नी एक डॉक्टर हैं और मैं जानता हूँ कि इसके लिए उन्होंने अनगिनत दिन और रातों की पढाई की है। मैंने क्रिकेट खेलने के लिए बहुत मेहनत की है पर इतना अध्ययन नही किया है। इसलिए मैं यह डिग्री स्वीकार नही कर सकता।" क्या ही बात है इस जेंटलमैन की। इस कथन में राहुल के पास उदाहरण भी मां और पत्नी के हैं जो इस विषय को और भी खूबसूरत बनाते हैं। इस बात का वजन हमारे यहां ज्यादा है क्योंकि इस विनम्रता की तुलना में लगभग सारा समाज स्तरीय तो छोड़िए, स्तरहीन सम्मानों के जुगाड़ में रहता है और इसके लिए बहुत कुछ किया भी जाता है। वास्तविकता यह है कि समाज का बड़ा हिस्सा आत्ममुग्...

क्या महत्वपूर्ण है शराब या समाज

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शराब की  कितनी बड़ी एहमियत है शाशन, व्ययवस्था और समाज मे????? जब मंदिर और  मस्जिद आम  जनता  के  लिए बंद किये  गए  है तब शराब के  दुकानों पर उन्हें स्पेशल आमंत्रण दिया  गया  है आखिर  क्यों??  जिस रेवेन्यू के लालच मे  सरकार यह कर रही है कोरोना के महामारी बढ़ने पर यह रेवेन्यू उनके कितने काम का होगा क्या यह मुलभुत सवाल उन्होंने अपने अपने आप से नहीं पूछना चाहिए, क्या  इतनी कॉमन सेन्स उनमे नहीं होनी चाहिए??? वर्षो पहले संसद मे स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी ने कहा था की की तुच्छ राजनीति करके अगर उनके हाथ सत्ता आती है  तो  ऐसे सत्ता को वो चिमटे से भी नहीं छूना पसंद करेंगे |   आज  राजनेता हाथो मे  सेनिटाइज़र लगा  के  सब कुछ करने को तैयार है बस उनका फायदा होना चाहिए, सस्ती लोकप्रियता मिलनी  चाहिए  | अपने आप को बहुत पढ़ा लिखा दुसरो के डिग्री वेरिफाई करने वाले केजरीवाल साहब के लीडरशिप पर कितनी तारीफ की जाय वो समझ के बाहर है | शराब की दुकान खोल उन्होंने किस दूरदृस्टि / विजन का परिचय ...

जिला ताइक्वांडो संघ वाराणसी - एक आदर्श खेल प्रशासन का उदाहरण

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आज देश मे वर्तमान समय मे  खेल संघो  मे  विवाद  है,  बहूत  सारी खेल  संघो को किसी  ना किसी विवाद,  नियम का पालन ना  करने या  आपसी  झगडे की वजह से  खेल  मंत्रलाय भारत सरकार  से  प्राप्त मान्यता से हाथ भी  धोना पड़ा है | अभी  कुछ  ही  दिन  पहले  स्कूल  गेम्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया की  भी मान्यता रद्द करी खेल मंत्रलाय भारत  सरकार ने | स्कूल  गेम्स  फेडरेशन ऑफ इंडिया जो  स्कूल स्तर पर  विभिन्न खेलो की राष्ट्रीय स्तर की  प्रतियोगिता कराने तथा स्कूल स्तर पर खिलाड़ियों के लिए सबसे बड़ी संस्था है | ये  एक  घोर निराश करने  वाली  बात  किसी  को  भी  लगेगी खास  तौर  पर तब  जब स्कूल  गेम्स फेडरेसन ऑफ  इंडिया के  अध्यक्ष श्री  सुशील कुमार  जी  है  जो अब  तक  हमारे देश को  दो बार  कुश्ती मे ओलिंपिक पदक  भी  दे  चुके  है और सम्पू...