कोरोना योद्धा व मानवीय मूल्यों के प्रतिक डॉक्टर टी डी तनेजा

 एक लड़ाई चाइनीस वायरस से_

भूतपूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनके बड़बोलेपन के कारण बहुत से लोग ना पसंद करते थे पर एक बात के लिए मैं उनका समर्थक था, कि कोविड-19 महामारी के अस्तित्व में आने से लेकर अपने कार्यकाल के अंतिम दिन तक वह इसे चाइनीज वायरस ही बोलते रहे। चीन के बुहान शहर के वायरोलॉजिकल इंस्टिट्यूट में कोरोना वायरस की उत्पत्ति हुई, और बड़े ही सुनियोजित तरीके से विश्व के अन्य हिस्सों में इसे फैलने दिया गया। जीव जंतुओं एवं कीट पतंगों का बेहतरीन उपयोग एवं दुरुपयोग चीनी समाज महान चीनी दार्शनिक कन्फ्यूशियस (लगभग 2500 वर्ष पूर्व) से भी पहले से करता आ रहा है। चीनी लोग जीव जंतु एवं कीट पतंगों से जीवनोपयोगी और जहर दोनों का निर्माण करना बखूबी जानते हैं। उम्दा किस्म की वाइन भी यह जहरीले सांपों की मदद से बना डालते हैं। आज भी विकसित एवं शक्तिशाली चीन में लगभग 5 करोड़ लोग  गुफाओं और कंदराओं में रहतेहैं। आधुनिक चीन का प्रत्येक नागरिक स्वयं में एक छोटा मोटा कीट वैज्ञानिक है।

जब अमेरिका सहित दुनिया के तमाम देशों ने बुहान लैब की जांच करने की मांग की, तो जांच तो दूर किसी भी संस्था या जांच एजेंसी को बुहान लैब के सामने चीन द्वारा खड़ा होने की भी अनुमति नहीं दी गई ।

अब इस समय सारी दुनिया कोविड-19 महामारी से त्राहिमाम कर रही है। विशेषज्ञों द्वारा महामारी से बचने के तीन मुख्य उपाय बताए गए_ देह से दूरी, मुख पर आवरण एवम टीकाकरण। 45+ का टीकाकरण शुरू होने पर मैंने सपत्नीक, सार्वजनिक अवकाश के दिन 14 अप्रैल को फोर्टिस हॉस्पिटल में जाकर कोविशिल्ड का टीका लगवाया। उसी दिन शाम को बेटे को बुखार और सर दर्द की शिकायत हो गई। 17 अप्रैल की शाम तक पत्नी बेटी समेत मुझे भी कुछ लक्षण दिखने लगे, परिणाम स्वरूप अगले ही दिन 18 अप्रैल को हम चारों ने कोविड  टेस्ट कराया, 19 की शाम को रिजल्ट में हम चारों कोरोना + ve थे।

अब हम चारों की दुनिया बदल चुकी थी। एक अलगाव की दुनिया। लक्षण शुरू होते ही कोरोना से संबंधित प्रचलित दवाएं मैंने तीनों को देना शुरू कर दिया था, उस समय मैंने खुद पर कोई ध्यान नहीं दिया। अगले 7 से 10 दिन में एक-एक करके तीनों ठीक हो गए, लेकिन मेरी हालत ठीक नहीं थी ,मैंने 18 अप्रैल की शाम से दवाई लेनी शुरू की थी। मैं तेज खांसी और बुखार से पीड़ित था ,ऑक्सीजन लेवल 90 से 93 के बीच था। बच्चे ही ऑक्सीजन लेवल देखा करते थे ,29 अप्रैल को मेरी बेटी ने देखा मेरा ऑक्सीजन लेवल 87 दिखा रहा था। ऑनलाइन फीस जमा करने के बाद फोर्टिस हॉस्पिटल में अगले दिन मुझे देखने के लिए उन्होंने डॉक्टर से अपॉइंटमेंट ले लिया। अगले दिन फोर्टिस हॉस्पिटल पहुंचने के बाद मुझे बताया गया डॉक्टर आपको फिजिकली चेक नहीं करेंगे आप से फोन पर संपर्क करेंगे। मेरी बेटी ने मेरे सहकर्मी मैडम अलका अरोड़ा से फोन पर बात की और उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि तिलक नगर में एक डॉक्टर हैं जो कोरोना पेशेंट को भी देखते हैं,वहां चली जाओ। हम लोग वहां से लगभग 15 किलोमीटर दूर तिलक नगर में डॉक्टर टी डी तनेजा के पास पहुंच जाते हैं।

   डॉक्टर तनेजा की उम्र  82 वर्ष है, जैसा कि बातचीत के दौरान डॉक्टर साहब ने मुझे खुद बताया था। बिना पीपीई कीट और ग्लव्स के केवल चेहरे पर डबल मास्क लगाए, वह पेशेंट को देख रहे थे। मेरी बारी आने पर उन्होंने मुझे देखा और कुछ इंजेक्शन लगाए ।एक दिन की दवा देकर अगले दिन फिर से बुलाया। इसी बीच फोर्टिस हॉस्पिटल के डॉक्टर झा का फोन आया और उन्होंने मुझे कुछ ब्लड टेस्ट और सीटी स्कैन कराने के लिए कहा ,हम लोग उसी दिन शाम को ब्लड टेस्ट और सीटी स्कैन कराने फोर्टिस हॉस्पिटल पहुंच गए। फोर्टिस हॉस्पिटल एक कोवीड हॉस्पिटल हैं। हमें कोरोना पेशेंट के लिए रिजर्व गेट नंबर 6 से एंट्री दी गई, अलग-अलग फ्लोर पर हमें ब्लड टेस्ट और CT scan के लिए जाना पड़ा। अन्य मरीज भी होने के कारण हमें लगभग 1 घंटे लग गए। एक  घंटे वायरस की दुनिया में सैर करने के बाद मैं अपनी बेटी के साथ गेट नंबर 6 से बाहर निकल रहा था मैंने ध्यान दिया, मेरी दाहिनी तरफ हर एक कमरे दो कोरोना पेशेंट मौजूद थे। कुछ अपने मोबाइल में उलझे हुए थे, कुछ लोग गुरुवाणी का पाठ कर रहे थे, मुझे अच्छा लगा, प्रार्थना में बड़ी शक्ति होती है। अस्पताल से बाहर निकलते हुए मैंने भी उन सभी के स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना की और घर वापस आ गया।

CT scan रिपोर्ट के अनुसार लगभग 45 परसेंट फेफड़े में इंफेक्शन था। रिपोर्ट देखते ही डॉक्टर तनेजा ने सुबह शाम इंजेक्शन लगाने को कहा, एक मई से बुखार आना  बंद हो गया। ऑक्सीजन लेवल भी 90+ हो गया। मेरी समस्त ज्ञानेंद्रियां  गंध, स्पर्श ,श्रवण एवं देखने की शक्ति जो बुरी तरह प्रभावित थी, अब धीरे-धीरे करके मेरे पास वापस आ रही थी। सुबह शाम दोनों समय मुझे डॉक्टर तनेजा के पास इंजेक्शन के लिए जाना पड़ रहा था। 

     जैसे-जैसे मैं ठीक हो रहा था मेरी सोच के केंद्र बिंदु डॉक्टर तनेजा बनते जा रहे थे। मुझे लग रहा था कि मैंने इन्हें पहले भी कहीं देखा है, ओह याद आया अमेरिकन राष्ट्रपति जो वाइडन के वैज्ञानिक सलाहकार डॉक्टर एंथोनी फाउची के चेहरे के साथ इनकी कैसी अद्भुत  समानता है। डॉक्टर तनेजा थॉमस कार्लाइल के इस सूत्र  "सुव्यवस्थित व्यक्तित्व वह है जो कभी किसी चीज को ढूंढे ही नहीं"पर काम करते हुए दिखाई दिए। इस उम्र में भी वह प्रत्येक चीज को निर्धारित स्थान से उठाकर और काम पूरा होने के बाद फिर उसी जगह पर ले जाकर रख रहे थे और मैंने ऐसा उन्हें बार-बार करते हुए देखा। डॉक्टर साहब के पास एक सहायिका भी थी जिसके परिवार में कोरोना से किसी की मौत हो गई थी ,इस कारण वह पिछले कई दिनों से नहीं आ रही थी। जैसा कि डॉक्टर साहब ने बताया 4 अप्रैल को वह खुद भी कोरोना +  हो गए थे। लगभग 20 दिन में   कोरोना को मात देकर वो फिर से लोगों की सेवा में जुट गए थे। हर रोज के साथ उनका व्यक्तित्व मुझे और भी प्रभावित कर रहा था। पूरे घर में अकेले रहते हैं और अपने क्लीनिक में भी बिल्कुल अकेले। वन मैन आर्मी।

डॉक्टर साहब की बढ़ी हुई फीस मात्र ₹300 है ।अपने पुराने पेशेंट जो कई पीढ़ियों से अपना इलाज उनके पास करा रहे हैं ,उनमें से बहुतों से अभी भी वह ₹250 ही लेते हैं। दिनांक 13 मई को दोपहर में मुझे अचानक दो छींक आई और उसके बाद मेरी खांसी बढ़ गई, मुझे सीने पर दबाव सा महसूस होने लगा। शाम को डॉक्टर साहब से बात की उन्होंने कहा, बेटे चले आओ। मेरा ब्लड टेस्ट और एक्स-रे कराया गया। फेफड़े में दाहिनी तरफ नीचे की ओर लगभग 15 परसेंट संक्रमण मौजूद है, डॉक्टर साहब के अनुसार अगले आठ 10 दिन में ठीक हो जाएगा।

    मुझे यह देख कर खुशी हुई कि डॉक्टर साहब की सहायिका पुनः वापस आ चुकी है।

 आजकल मरीजों की भीड़ अधिक होने के कारण डॉक्टर साहब आराम बहुत ही कम कर पाते हैं , रात 10:00 बजे तक मरीजों के साथ उलझे रहते हैं। किसी अन्य भौतिक चीजों पर ध्यान देने की इन्हें फुर्सत नहीं है।



  यह पोस्ट थोड़ा लंबा हो चला है लिखने को बहुत ढेर सारी चीजें हैं बहुत सारी नकारात्मक चीजें भी मेरे साथ घटित हुई, जिन्हें मैं लिखना नहीं चाहता। फिलहाल मेरी और परिवार में बाकी सभी लोगों की हालत सुधार पर है। पूरी तरह ठीक होने में शायद तीन चार हफ्ते और लग जाए लेकिन इस सफर में बहुत कुछ सीखने को मिला।

   जो लोग कोरोना संक्रमित हैं या भविष्य में कोरोना संक्रमित हो सकते हैं मैं उनसे बस इतना ही कहना चाहूंगा की "मन के जीते जीत है मन के हारे हार" अतः अपने मनोबल को मजबूत बनाए रखें, घबराए नहीं बस समय पर लक्षणों को समझकर इलाज करें।

नकारात्मक चीजों को कम से कम सोचें। समय अच्छा हो या बुरा, गुजर ही जाता है। अपने हौसले को बनाए रखें, यह दिन भी गुजर जाएंगे।


- मेरे पिता श्री अजय सिंह द्वारा लिखा गया यह लेख उनके और  मेरे परिवार की भावना है डॉक्टर तनेजा व  उनके जैसे आदर्श पुरुष के लिए, हमारा पूरा परिवार कोरोना संक्रमित था और हम  सब  अभी  ठीक  है  | भरोसा रखें व  स्वस्थ रहे,  स्वम, परिवार और समाज के लिए डॉक्टर तनेजा जैसी भावना रखें ताकी सभी संकट को पार किया जा सके  🙏🙏


मेरे लिए भी  यह एक पूर्णतः अलग अनुभव रहा ऑक्सीजन की कालाबाजारी, चार गुने दाम पार ऑक्सीमीटर तथा अन्य जरुरी मेडिकल उपकरण का मिलना और सबसे चौकने वाली बात बहुत सारे प्राइवेट हॉस्पिटल मे कोरोना मरीजों के बेड देने के नाम पार भी दलाली कुछ अलग ही अनुभव रहा लेकिन कहते है ना 100 मे  से 99 बेईमान फिर भी मेरा भारत महान !!

डॉक्टर तनेजा जैसे आदर्श डॉक्टर और व्यक्ति जब तक हमारे देश मे रहेंगे तब तक देश मे मानवता जिंदा रहेगी पर आज  आवश्य्कता है की हम इस बात को समझें की तरक्की सिर्फ पैसा कमाने, प्रॉपर्टी बनाने,  आलीशान बँगले और गाड़ियों मे चलना नहीं बल्कि समाज और देश के प्रति अपनी थोड़ी जिम्मेदारी और उसे बेहतर बनाना भी है |

जिन हालात की इतनी बात हो रही है उसमे हम दिल्ली के फोर्टिस हॉस्पिटल मे भी गए जो की दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों मे से एक है और वहां मुख्य चीकित्सक एक भारी भरकम टेस्ट करवा सिर्फ ऑनलाइन कंसल्टेंसी ही प्रदान कर रहे थे | चिकित्सा क्षेत्र मे व्यापारीकरण कही से सराहनीय नहीं है |

Comments

  1. Very deep, informative and helpful content.

    ReplyDelete
  2. वास्तविकता में डॉ तनेजा ने मानवता का बहुत बड़ा उदाहरण पेश किया है...जहाँ आज के समय में बहुत सारे डॉक्टर्स बड़े ही एडवांस मेडिकल डिग्रीया लेकर अपने प्रॉफ़ेशन के साथ न्याय नहीं कर पा रहे है लेकिन डॉ तनेजा अपने उम्र के इस पड़ाव पर भी अपनी जिम्मेदारीयों को बड़ी ही ईंमानदारी से निर्वहन कर रहे हैं. ������

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा ताइक्वांडो जैसे खेल को चुनते तो क्या होता?

Future & Present of Taekwondo in India - A review through a district Varanasi & state Uttar Pradesh.