नरसिंह को दिखानी चाहिए खिलाडी भावना - देश के लिए छोंड देनी चाहिए अपनी वक्तिगत उपलब्धि का फायदा ।

नर सिंह को रियो ओलिंपिक को लेकर खेल भावना दिखानी चाहिए ।
जब बात देश की हो तो कभी वयक्तिगत उपलब्धि सवोपरि नहीं हो सकती ।
इस मामले में सभी अपनी अपनी जगह ठीक है , सिर्फ नरसिंह को छोड़कर ।
नियम और न्याय यही कहता है की जिसने क्वालीफाई किया है वही जाने का हक़दार है । अगर कोई नरसिंह की जगह किसी और को भेजने की बात करता है तो यह बात ठीक नहीं है क्योंकि नरसिंह ने अपने वक्तिगत पुरुषार्थ ओलिंपिक कोटा हाशिल किया है ।
लेकिन यहाँ बात देश की है और खेल भावना की है ।
क्या यह बात सही नहीं है की जो देश के लिए सबसे योग्य हो वो देश का प्रतिनिधित्व करे ?
कोई अन्य अगर ट्रायल की बात करता है तो शायद यह उतना ठीक नहीं होगा जैसा की नर सिंह ने अपना स्थान पक्का किया है । यह उनका हक़ बन चूका हैं ।
अतः नरसिंह को खुद स्वयं इस बात को कहना चाहिए की वो तैयार है सुशिल से ट्रायल जो देश के लिए बेहतर कर सकता है उसी को जाना चाहिए ।
सुशिल के चोटिल होने की वजह से ही नरसिंह को उनकी जगह ओलिंपिक क्वालीफ़ायर में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला , क्या होता अगर उस वक्त सुशिल फिट होते ?
नर सिंह को इस बात की क़द्र करनी चाहिए की सुशिल ओलिंपिक में स्वार्ण पदक जितने के लिए वर्षो से कड़ी मेहनत कर रहे है जो शायद वो खुद भी कर रहे है ।
लेकिन क्या कोई है जिसने 2014 में हुऐ एशियन गेम्स में सिर्फ इसलिए भाग नहीं लिया क्योंकि वो अपने स्किल्स सिर्फ ओलिंपिक में इस्तेमाल करना चाहता था , ओलिंपिक के पहले उसे नहीं दिखाना चाहता था की प्रतिद्वंदी को उनके खिलाफ कोई स्ट्रेटजी बनाने का मौका मिले ।
सुशिल लगातार ओलिंपिक में पदक जित रहे है , और इस वक्त बहुत कड़ी मेहनत से तैयार है भारत के लिए ऑल्टम्पिक में पदक जितने के लिए ।

नरसिंह को अपनी वक्तिगत उपलब्धि का फायदा लेने के बजाय , खेल भावना के साथ साथ देश भवना दिखानी चाहिए ।

अगर नरसिंह अपनी वक्तिगत उपलब्धि का फायदा ले कर ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करते है और स्वर्ण पदक जित कर आते है तो बात कुछ और होगी लेकिन अगर वह ऐसा नहीं कर पाते तो ईतिहास के पन्नों में उनका नाम काले अक्षरों में लिखा जायेगा की अपने वक्तिगत उपलब्धि के वजह से उन्होंने एक दिसेरविंग पर्सन को रोका ।

अगर नरसिंह ट्रॉयल के लिए तैयार होते है तो सिर्फ दो बाटे होंगी और दोनों में ही उनकी जित है ।
अगर वो सुशिल को हरा देते है तो अपनी रिओ जाने को वो सही साबित करते है और  अगर सुशिल उन्हें हरा देते है तो भी वो जीतेंगे ,खेल की दुनिया में , खेल भावना के लिए ।
लोग हमेशा उन्हें यद् रखेंगे की देश के लिए उन्होंने अपनी वक्तिगत उपलब्धि की क़ुरबानी दी ।

जैसा की मैंने अपने पिछले  ब्लॉग में लिखा है की स्पोर्ट्स स्पिरिट इस समटैम् विनिंग बाई लूसीग ।

नर सिंह तो वैसे भी हिन्दुस्तान के सांस्कृतिक राजधानी बनारस से है , उन्हें अपनी संस्कृति का ख्याल रखना चाहिए ।
ओलिंपिक कोटा उन्होंने अर्जित किया है , तो उन्हें सोचना चाहिए की वो ओलिंपिक में क्यों जा रहे है , जिस लिए जा रहे है अगर उस लिए उनसे योग्य है कई तो क्या उन्हें रुकना नहीं चाहिए ??
अगर उन्हें इस बात का विश्वास है वो ही जाने के लिए योग्य है तो ट्रायल के बात पर उनका यह कहना गलत है , की मैंने क्वालीफाई किया है और मै ही जाऊंगा ।

लोग देश के लिए बड़ी बड़ी क़ुरबानी देते है , सैनिक अपनी जान देते है । क्या वो सिर्फ अपनी ओलिंपिक क़ोटे की क़ुरबानी नहीं दे सकते ?
और सबसे बड़ी बात की ये कोई नहीं कह रहा है की उनके जगह सुशिल को जाना चाहिए , सभी का ये मानना है क्यूंके ओर सुशिल के बीच ट्रायल हो , जो जीते वो जाये भारत का प्रतिनिधित्व  करने ।

वर्ष 2008 में अभिनव बिंद्रा के गोल्ड मैडल जे वजह से भारत ओलिंपिक में 50वे स्थान पे था ।
विश्व में दूसरी सबसे बड़ी आवादी वाले देश होने के बावजूद हम शिर्ष 10 में कभी नई आ पा रहे ये हमारे लिए शर्म की बात है ।
एक एक मैडल कीमती है ।
 नर सिंह को अपनी ज़िद भूलनी चाहिए और खुद ट्रायल के लिए आना चाहिए आगे ।

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