भारतीय खेल संघों के लिए बेहतर प्रसासनिक व्वयस्था का सबक ।
भारतीय खेल संघों के लिए सबक है कुस्ती खिलाडी नरसिंह यादव का मामला ।
जब से ये मामला गर्म हुआ था रिओ ओलिम्पिक में क्या शुशील कुमार कोई भारत का प्रतिनिधित्व का मौका मिलेगा या नहीं ??
तभी से यह एक प्रश्नवाचक सवाल बन गया था हमारे देश की खेल भावना और प्रसासनिक व्ययस्थाओ को लेकर और जिस तरह से NADA ने नरसिंह को डोप टेस्ट में दोषी पाया और जिस तरह के आरोप नरसिंह ने लगाए है उसने वर्तमान और भाभिस्य दोनों के लिए भारतीय खेल प्रसासन को एक चेतावनी समाघनी चाहिये वरना खेल संघ सिर्फ राजनीती का अखाडा ही बन के रह जायेगा ।
मै हर खेल संघ से नहीं जुड़ा हु और ना ही उनके व्यवस्था , प्रसासन से वाकिफ हु । लेकिन टायक्वोंडो का खिलाडी होने के नाते और इस खेल की एडमिनिस्ट्रेशन की जानकारी होने के नाते , इस बात का दावा करता हु की अगर इस घटना के बाद भी प्रसासन के कान खड़े नहीं हुए तो एक बेहद ही ख़तरनाक भाभिस्य स्वागत के लिए तैयार है ।
जिसमे सिर्फ राजनीती ही रह जायेगी पदाधिकरी बनने की ।
जिन्हें इस बात को लेकर ताज्जुब हो रहा है मैं उनसे साफ कर देना चाहता हु की आज एक अच्छा समय हो चूका है जबसे इंडियन ओलिंपिक संघ के चुनाव करवाये है ।
क्या अब तक सब कुछ साफ नहीं होना चाहिए था कि किस स्टेट का कौन पदाधिकारी है ??
क्या अबतक tfiindia वेबसाइट पे इवेंट्स का अपडेट नहीं होना चाहिए था ??
इन सब का देंन है कि सत्ता की राजनीती सबके अंदर आ रही है ?
सबसे बड़ा उदहारण है उत्तर प्रदेश जहा अब तक ताइक्वांडो फेड्रेसन ऑफ़ इंडिया ने साफ नहीं किये है कि उनसे मान्यता प्राप्त कौन है लिहाज़ा नतीजा अलग अलग तुकडियो में राजनीती चरम सीमा पे है ।
सब अपने दिमाग का पूरा इस्तेमाल कर रहे है कि कैसे उनका सत्ता पर कब्ज़ा हो !!!
और इसी तरह देरी होती रही तो शायद जो भारतीय कुस्ती संघ में हो रहा है वो यहाँ पर भी होगा ।
टायक्वोंडो महासंघ जितनी देरी करेगा उतना ही सत्ता का लोभ बढ़ेगा और अंत में क्या आयेगा नतीजा उन लोग का , जिनके सत्ता के सपने पर पानी फिर जायेगा ??
ऐसे लोगो के अंदर बचेगा सिर्फ गुस्सा , जलन और नफ़रत जो उन्हें उकसाएगा हर वो काम करने के लिए जिससे सत्ताधारक को वो निचा दिखा सके ।
फिर सत्ताधारक क्या करेगा ??? वो इन सब लोगों के प्रहार से बचेगा या फिर खेल और ख़िलाड़ी के विकाश के लिए सोचेगा ??
भारतीय कुस्ती संघ में ये जो इतनी बड़ी घटना घटी है उसका कारन सिर्फ गन्दी राजनीती , घृणा , जलन और खेल भावना की कमी है ।
अगर इस घटना से सीखा नहीं गया तो वही होगा जो ही रहा है ।
यह एक चेतावनी है वक्त रहते संभल जाने की देश के सभी खेल संघों के लिए और भारतीय टायक्वोंडो संघ को विधुत गति से हर राज्य में अपनी मान्यता प्राप्त संघ का घोषणा करनी चाहिये तथा अपनी वेबसाइट और अपनी ऑफिसियल एड्रेस का ख्याल रखे । क्योंकि पिछले कुछ साल में देखे तो हेड ऑफिस बंगलुरु दसे डेल्ही और अब झारखण्ड ।
ये इमेज ख़राब होने वाली बात है । हेड ऑफिस एक ही जगह होनी चाहिये चाहे कोई भी पदाधिकारी हो ।
G
जब से ये मामला गर्म हुआ था रिओ ओलिम्पिक में क्या शुशील कुमार कोई भारत का प्रतिनिधित्व का मौका मिलेगा या नहीं ??
तभी से यह एक प्रश्नवाचक सवाल बन गया था हमारे देश की खेल भावना और प्रसासनिक व्ययस्थाओ को लेकर और जिस तरह से NADA ने नरसिंह को डोप टेस्ट में दोषी पाया और जिस तरह के आरोप नरसिंह ने लगाए है उसने वर्तमान और भाभिस्य दोनों के लिए भारतीय खेल प्रसासन को एक चेतावनी समाघनी चाहिये वरना खेल संघ सिर्फ राजनीती का अखाडा ही बन के रह जायेगा ।
मै हर खेल संघ से नहीं जुड़ा हु और ना ही उनके व्यवस्था , प्रसासन से वाकिफ हु । लेकिन टायक्वोंडो का खिलाडी होने के नाते और इस खेल की एडमिनिस्ट्रेशन की जानकारी होने के नाते , इस बात का दावा करता हु की अगर इस घटना के बाद भी प्रसासन के कान खड़े नहीं हुए तो एक बेहद ही ख़तरनाक भाभिस्य स्वागत के लिए तैयार है ।
जिसमे सिर्फ राजनीती ही रह जायेगी पदाधिकरी बनने की ।
जिन्हें इस बात को लेकर ताज्जुब हो रहा है मैं उनसे साफ कर देना चाहता हु की आज एक अच्छा समय हो चूका है जबसे इंडियन ओलिंपिक संघ के चुनाव करवाये है ।
क्या अब तक सब कुछ साफ नहीं होना चाहिए था कि किस स्टेट का कौन पदाधिकारी है ??
क्या अबतक tfiindia वेबसाइट पे इवेंट्स का अपडेट नहीं होना चाहिए था ??
इन सब का देंन है कि सत्ता की राजनीती सबके अंदर आ रही है ?
सबसे बड़ा उदहारण है उत्तर प्रदेश जहा अब तक ताइक्वांडो फेड्रेसन ऑफ़ इंडिया ने साफ नहीं किये है कि उनसे मान्यता प्राप्त कौन है लिहाज़ा नतीजा अलग अलग तुकडियो में राजनीती चरम सीमा पे है ।
सब अपने दिमाग का पूरा इस्तेमाल कर रहे है कि कैसे उनका सत्ता पर कब्ज़ा हो !!!
और इसी तरह देरी होती रही तो शायद जो भारतीय कुस्ती संघ में हो रहा है वो यहाँ पर भी होगा ।
टायक्वोंडो महासंघ जितनी देरी करेगा उतना ही सत्ता का लोभ बढ़ेगा और अंत में क्या आयेगा नतीजा उन लोग का , जिनके सत्ता के सपने पर पानी फिर जायेगा ??
ऐसे लोगो के अंदर बचेगा सिर्फ गुस्सा , जलन और नफ़रत जो उन्हें उकसाएगा हर वो काम करने के लिए जिससे सत्ताधारक को वो निचा दिखा सके ।
फिर सत्ताधारक क्या करेगा ??? वो इन सब लोगों के प्रहार से बचेगा या फिर खेल और ख़िलाड़ी के विकाश के लिए सोचेगा ??
भारतीय कुस्ती संघ में ये जो इतनी बड़ी घटना घटी है उसका कारन सिर्फ गन्दी राजनीती , घृणा , जलन और खेल भावना की कमी है ।
अगर इस घटना से सीखा नहीं गया तो वही होगा जो ही रहा है ।
यह एक चेतावनी है वक्त रहते संभल जाने की देश के सभी खेल संघों के लिए और भारतीय टायक्वोंडो संघ को विधुत गति से हर राज्य में अपनी मान्यता प्राप्त संघ का घोषणा करनी चाहिये तथा अपनी वेबसाइट और अपनी ऑफिसियल एड्रेस का ख्याल रखे । क्योंकि पिछले कुछ साल में देखे तो हेड ऑफिस बंगलुरु दसे डेल्ही और अब झारखण्ड ।
ये इमेज ख़राब होने वाली बात है । हेड ऑफिस एक ही जगह होनी चाहिये चाहे कोई भी पदाधिकारी हो ।
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