क्या सिंगापुर ताइक्वांडो की तरह भारतीय ताइक्वांडो को सुधार पाएंगे श्री मिलान कव्वी

लम्बे  समय  से  कई सालो  से  ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया मे  चल  रहे  विवाद के  वजह  से ताइक्वांडो खिलाड़िओं का समय ,  खेल  करियर जो  नस्ट हो  रहा  था उसमे  खिलाड़ियों को  या  किसी  को  उम्मीद  नहीं  थी  की  इतनी  बेहतर साफ  तरीके  से  निष्पक्ष सलेक्शन होगा |
इंडियन ओलिंपिक असोसिएशन द्वारा बनाई ऐड-हॉक कमिटी और माननीय दिल्ली उच्च न्यायलय के  निर्देशानुसार एक  बेहतर सलेक्शन ट्रायल का  आयोजन  औरंगाबाद के भारतीय   खेल  प्रधिकरण केंद्र पे  किया  गया ,  जिसमे  सभी दल के  खिलाड़ियों को  निष्पक्ष रूप  से  मौका  दिया  गया |



भारतीय ओलिंपिक द्वारा बनाई  एडहॉक कमिटी मे शामिल सिंगापूर ताइक्वांडो के  श्री  मिलान  जी  ने  इस  सलेक्शन का  नेतृत्व किया और सभी रेफ़री के साथ  सफलता पूर्वक  संपन्न  कराया |




अब  लोगों  की  आस  माननीय  दिल्ली  उच्च न्यायलय के  चार दिसंबर 2019 के  फैसले  और भारतीय ओलिंपिक संघ के फैसले पे है |
लम्बे  अंतराल बाद  भारत मे  ताइक्वांडो  को  लेकर  कुछ  सकारात्मक दिखा  है | सिंगापूर के  श्री मिलान कूईं से  भी  बड़ी  आस  होंगी  क्योंकि  सिंगापूर  ताइक्वांडो  के  राष्ट्रीय  संघ  की  हालत कुछ  भारत  देश  जैसी  ही  थी  जहाँ  कुछ  वर्षो पहले बद से  बत्तर हालात थे,  बड़े  स्तर  पे  घोटाले  थे  | 

सिंगापूर ताइक्वांडो  फेडरेशन को  सिंगापुर ओलिंपिक एसोसिएशन और  वर्ल्ड  ताइक्वांडो  फेडरेसन / वर्ल्ड  ताइक्वांडो से  बर्खास्त किया  गया  था  | सिंगापुर ताइक्वांडो  फेडरेशन  बिल्ल्कुल  गर्त  मे  थी  लेकिन  आज  सिंगापुर ताइक्वांडो संघ  सभी  अनैतिक कृत्य से  बाहर है ,  पूरी  तरह  निर्धन सिंगापुर  फेडरेशन के  पास  ना  सिर्फ  पर्याप्त धन है  बल्की सिंगापुर  ताइक्वांडो  फेडरेशन ने  एक  भव्य ऑफिस तक  ख़रीदा  फेडरेशन के  नाम  पे  और माना जाता  है  की  श्री  मिलान  कुव्वी का  इसमें  महत्वपूर्ण योगदान है |

सिंगापुर  ताइक्वांडो  फेडरेसन को  बेहतर  बनाने  वाले  श्रीमान  मिलान कव्वी भारतीय ताइक्वांडो को  बेहतर  बनाने  के  लिए  कितना  योगदान  दे  सकेंगे  वो  आने  वाला  समय  ही  बताएगा  पर यह  एक  प्रश्नवाचक बात  जरूर  है  की  क्यों  भारतीय ताइक्वांडो  संघ  के पास  पैसा  नहीं  है??  ब्लैक  बेल्ट ,  कलर  बेल्ट ,  id  कार्ड और  तमाम  रूप ,  माध्यम  से  जो  पैसे  अर्जित होते है वो  कहाँ  जाते  है ???? 

मसाला  सिर्फ  राष्ट्रीय  स्तर  पे  सिर्फ  फेडरेशन को विवाद  से  मुक्त  करने  का  नहीं  है  बल्की  राज्य स्तर  और  जिला स्तर  पर  भी  इस को ठीक  करने  का  भी  है  | 
वर्तमान  मे  तीन  भारतीय  ताइक्वांडो  संघ  है ,   सभी  राज्यों  मे  जैसे  उत्तरप्रदेश मे  चार  उत्तरप्रदेश ताइक्वांडो संघ है  और  सबसे  छोटी  इकाई यानी  जिला  स्तर  पर  जैसे  उत्तरप्रदेश के  वाराणसी जिले  मे  6 जिला  ताइक्वांडो  है | 
यानी  जितना  निचे  जाते  उतने  ज्यादा  विवाद  दिखता  है  तो  क्या  सभी  दल  मिलके  एक  बेसिक  फार्मूला अपना  नहीं  सकते  जिससे  जिला  स्तर  से  सुधार  हो  सके ??  ब्लैक  बेल्ट  खिलाड़ियों से  वोटिंग  या  अन्य  सर्वमान्य  तरीके  से  सब  ठीक  नहीं  कराया  जा  सकता?? 

इन सभी  के   बिच जिला  ताइक्वांडो  संघ  वाराणसी  ने  खिलाड़ियों  और  प्रशिछक को  वोटिंग  राइट दे  के  एक  साफ  सुथरा  आधार  दिया  है  जिसके  वजह  से  सत्ता  का  डिस्प्यूट कभी  भी  संघ  मे  नहीं  आ सकता  |
सिर्फ  यही  नहीं  जिला  ताइक्वांडो  संघ ने  अपने  संघ  के  बैंक  खाते  मे  एक  लाख  रुपये  से  अधिक  एकत्रित करके  भी  सन्देश  और  सवाल  किया  है की  जब  एक  संघ  के  पास  सिर्फ  एक  साल  के  अंदर  खिलाड़ियों से  सिर्फ  कलर  बेल्ट  फीस से  इतना  पैसा  एकत्रित हो  सकता  है  तो  राज्य असोसिएशन  और  राष्ट्रीय फेडरेशन कितना  धन  जमा  कर  सकते  है  और  वो  पैसे  इतने  वर्षो से  कहाँ  जाते  है ??? 



फिलहाल  शानदार  तरीके  से आगामी   दक्षिण एशियाई खेलो के लिए  भारतीय ताइक्वांडो टीम का  सिलेक्शन होने  के बाद एक  सकारात्मक आस  है  की जायज  सुधार  होगा  और  भविष्य मे  एक  स्वप्निल  नहीं  तो  कम  से  कम  बेहतर  भारतीय  ताइक्वांडो महासंघ का  गठन  अवश्य होगा  ||




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