जिला ताइक्वांडो संघ वाराणसी - एक आदर्श खेल प्रशासन का उदाहरण

आज देश मे वर्तमान समय मे  खेल संघो  मे  विवाद  है,  बहूत  सारी खेल  संघो को किसी  ना किसी विवाद,  नियम का पालन ना  करने या  आपसी  झगडे की वजह से  खेल  मंत्रलाय भारत सरकार  से  प्राप्त मान्यता से हाथ भी  धोना पड़ा है |

अभी  कुछ  ही  दिन  पहले  स्कूल  गेम्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया की  भी मान्यता रद्द करी खेल मंत्रलाय भारत  सरकार ने | स्कूल  गेम्स  फेडरेशन ऑफ इंडिया जो  स्कूल स्तर पर  विभिन्न खेलो की राष्ट्रीय स्तर की  प्रतियोगिता कराने तथा स्कूल स्तर पर खिलाड़ियों के लिए सबसे बड़ी संस्था है |

ये  एक  घोर निराश करने  वाली  बात  किसी  को  भी  लगेगी खास  तौर  पर तब  जब स्कूल  गेम्स फेडरेसन ऑफ  इंडिया के  अध्यक्ष श्री  सुशील कुमार  जी  है  जो अब  तक  हमारे देश को  दो बार  कुश्ती मे ओलिंपिक पदक  भी  दे  चुके  है और सम्पूर्ण देश मे  किसी  परिचय के मोहताज नहीं  है | ऐसे व्यक्ति के नेतृत्व मे  स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के ढेरों सफलता,  नई उचाईयो के अलावा किसी  ने सपने मे  नहीं  सोचा  होगा  की  इस  संस्था की  सरकार द्वारा  मान्यता रद्द कर  दी  जायेगी |







ताइक्वांडो एक  ऐसा  खेल है  जो  हमारे  देश मे सबसे बड़े राजनैतिक और विवादित खेलो मे  से  एक  है वर्ष  1999 से  इस  देश मे  दो  - दो  ताइक्वांडो  फेडरेसन ऑफ  इंडिया चल रही  है  और माननीय लखनऊ उच्च न्यायलय मे  इसका केस चल  रहा  है  | केस  क्या  है ???  केस है  की  असली  ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ  इंडिया  कौन  है ????
दुनियां की  सबसे  बड़े  लोकतान्त्रिक देश मे  इस बात का  पिछले  20 सालो  मे  फैसला  नहीं  हो  पाया  की  असली  फेडरेशन कौन  है  ये  विवाद चल  ही  रहा  है की  एक  ताइक्वांडो  फेडरेसन ऑफ  इंडिया  जिसे  भारतीय ओलिंपिक संघ  और  खेल  मंत्रलाय भारत  सरकार  से  मान्यता  प्राप्त है उसमे  भी  दो  फाड़  हो  गए ,  सत्ता की  जंग  हो  गई |
सत्ता की  जंग  वर्ष 2016 मे  कुछ  देर  के  लिए  शांत हुई जब  भारतीय ओलिंपिक संघ और  माननीय दिल्ली  उच्च न्यायलय के  निरक्षण मे  चुनाव कराये गए  |
जुम्मा  जुम्मा करते  एक  साल  भी  नहीं हुवा  की फिर  से  विवाद  हो  गया  और मामला  दिल्ली  उच्च न्यायलय मे चला गया |

हमारे  देश  की  दो  - दो  उच्च  न्यायालय  माननीय लखनऊ उच्च  न्यायालय और  माननीय दिल्ली  उच्च  न्यायलय जो  असली  ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया  के  निर्णय के  लिए  तारीख  पर  तारीख दे  रही  है  क्या  वो  इस  बात  की  गारंटी  की  क्या  अभी ,  एक  साल ,  दस  साल ,  सौ  साल  या जब  भी  वो असली  नकली  का  फैसला  लेंगी  तो क्या  वो  इस  बात  की  गारंटी  ले  सकती  है  की फिर  सब  कुछ  लोकतान्त्रिक रूप  से  या  या  सुव्यवस्थित तरीके से  चलेंगी???? 

आखिर इसका मूल समस्या क्या  है???  विवाद  क्यों  है ???  जो  लोग  लड़  रहे  है  वो  क्यों  लड़  रहे  है ??? 

बचपन मे  सभी  विद्यार्थी मुंशी प्रेम  चंद्र जी  की कहानियाँ पढ़ते है जिनमे एक  कहानी है पंच - परमेश्वर जिसमे  दो बेहद  करीब  दोस्त अलगू चौधरी और  जुम्मन शेख अपनी दोस्ती भूल  जाते  जब  वो  पंच बनते  है उनके  लिए  दोस्ती से  ऊपर  हो  जाती  है  पंच के  कर्तव्यों का  निर्वहन करना |
आज  हालात  वैसे ही  है  सवाल  देश  का  है ,  देश  के  खिलाड़ियों के  हित  है |

किसी  भी  राष्ट्रीय  खेल  संघ को बनाने का लिए राज्य संघ  के  पदाधिकारी वोट  करते  है  और  राज्य  संघ  को  बनाने के  लिए  जिला  संघ  के पदाधिकारी वोट  करते  है | समस्या जिला  स्तर  से  ही  है   अगर  ताइक्वांडो  की  बात  करें  तो  प्रधानमंत्री मोदी जी  के  संसदीय  क्षेत्र वाराणसी मे  पांच - पांच  जिला  ताइक्वांडो  संघ  है  और  इसी  तरह  सभी  जिला  संघो  मे  विवाद  है  सभी  खेलो  के तो  फिर  इसके  दूर  करने  का  विकल्प क्या  हो  सकता  है ??

मेरी  राय  मे  समस्या जिला  स्तर  से  दूर  हो सकती  है  जब  खिलाड़ियों  को  भी  वोटिंग  राइट मिले,  एक  बेसिक  स्ट्रक्चर तय  हो जिसमे खिलाड़ियों और  प्रशिछकोँ द्वारा जिला  के  प्रतिनिधि तय  हो |  एक  बार  जिला  की  समस्या  ख़त्म  हो  जाती  है  तो  जिले  के  पदाधिकारी राज्य  और  राज्य  के  पदाधिकारी राष्ट्रीय फेडरेसन के  पदाधिकारियों का  चुनाव  कर  सकते  है नहीं  तो  जब  राष्ट्रीय  फेडरेशन  को  सुलझाने  और  समझने  मे  इतना  समय  लग  रहा  है  तो  राज्य  और  जिले  स्तर  पर  क्या  होगा  इसका  अन्दाजा कोई  भी  लगा  सकता  है |


ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़  इंडिया के  लड़ाई मे  शामिल सभी  लोग इस  खेल  के  विकास  की  बात  करते  है ,  ओलिंपिक मे  पदक  की  बात  करते  है  | सत्ता  की  लड़ाई  मे  शामिल  सभी  लोग  सभी  ताइक्वांडो के  खिलाड़ियों और  प्रशिछ्कों  के  भलाई  के  लिए  एक  जैसी  ही  बात  करते  है,  इन  सभी  लोग  मे  एक  और  बात  जो  एक जैसी है  वो  है  एक  दूसरे  पर  गंभीर  आरोप लगाना,  एक  दूसरे को  चोर  और  लुटेरा  बोलना  |

इन  सब  चीजों  के  अलावा कुछ  कृत्य भी  सामान्य है  जैसे :-

1.  कुक्कीवानं ब्लैक  बेल्ट की  फीस जिसकी  1500 रूपये  से  भी  कम  की  फीस  कुक्कीवोंन मे  अदा की  जाती  है  उसकी  तीन गुनी  से भी  अधिक धन राशि खिलाड़ियों से  वसूलना और  जो  अधिक  धन  राशि  ली  जाती  है  उस आय  का विवरण कोई  नहीं  देता |

2. बिना  किसी  स्टैण्डर्ड के साल  मे  2- 3 बार  राष्ट्रीय  रेफरी का  कोर्स  कराना जिसकी एलेजिब्लिटी हास्यास्पद होती  है  महज  2-3 दिन  का  सेमिनार  लगना  और  सैकड़ो  की  तादाद मे  लोगो  को  इकठ्ठा कर  के सबको  राष्ट्रीय  रेफरी  बना  देना  और  इसके  लिए  हज़ारो  रुपये  चार्ज  करना | कुछ वर्ष  पहले  मुंबई मे अंतरष्ट्रीय सेमिनार का  आयोजन किया गया  था  जहाँ  गाजर  मूली  की  तरह  भीड़  एकत्रित की  गई  और 40 हज़ार  से  अधिक  की  प्रति व्यक्ति कोर्स फीस ली गई , सैकड़ो के  तादाद मे  लोग  आये अंतराष्ट्रीय रेफरी बनने और  मुश्किल से  10 प्रतिशत लोग  ही  उत्त्रिण हुए |

इसी  तरह  की  बहूत  सारी  कॉमन बाते  है  पर कितना  उल्लेखित किया  जाय |

सभी  लोगो  की  बाते  बड़ी  बड़ी  है ,  खेल  के  सन्दर्भ  मे ऐसी  की  किसी  को  भी  संमोहित कर  ले पर  काम  किसी  के  नहीं |

इन  सभी  के  बिच  जिला  ताइक्वांडो  संघ  वाराणसी  ने  बड़ी  बड़ी  बाते  करने  वाले  लोगो  के  सामने  एक  मिसाल  रखी  है  |

जिला  ताइक्वांडो संघ  वाराणसी हर  महीने  अपने  आय  और  व्यय  का  विवरण ,  अपने  बैंक  स्टेटमेंट  को  समाजिक रूप  से  सभी  के  सामने  रखती  है |

जिला  ताइक्वांडो  संघ  वाराणसी  ब्लैक  बेल्ट  के  नाम  पर  हो  रहे  व्यापारी तरीके  को  बंद  करते  हुए ,  व्यवस्थित रूप  से  1857 रूपये  मे ब्लैक  बेल्ट टेस्ट  आयोजित  करती  है |

जिला  ताइक्वांडो संघ  वाराणसी  ने  अपने कंस्टीटूशन,  अपने  कार्यप्रणाली और चुनाव के तरीके  सभी  को  सबके  समक्ष  रखी  हुई  है ,  कोई  छुपी  हुए  नियम  क़ानून  नहीं  है  किसी  से यहाँ  तक  की  खिलाड़ियों को  वोटिंग राइट  तथा  प्रशिछकोँ को  विशेष  वोटिंग  राइट्स  दे  रखी  है |

गाजर  मूली  की  तरह  सभी  को  नेशनल रेफरी  बनाने के  लिए  प्रयत्न नहीं  करती  जो  रूचि  रखते  है  और  जिनमे  काबिलियत होती  है  उनको  चुन कर  के रेफरी  कोर्स  के  लिए  भेजती  है  तथा उस  रेफरी  सेमिनार  की  फीस  संघ  अपने  कोष  से  देती  है  |









Comments

  1. शायद इससे बेहतर आईना दिखाने का लेख कोई अन्य नहीं हो सकता।बावजूद इसके लोग एवं खेल संघों पर जमे तथाकथित मठाधीश फिर भी इस व्यवस्था का कभी भी अनुसरण नहीं करेंगे।। आज खेल एक सुनहरे भविष्य का रूप ले चुके हैं।जिसमें देश का युवा अपना सुनहरा भविष्य देख रहा है, इसी का लाभ खेल संघ एवं संस्थाओं के पदाधिकारी उठाते हैं।। जिला ताइक्वांडो संघ की पहल देश के लिए प्रेरणा बन सकती है।। इस पहल को जनपद से लेकर राष्ट्रीय खेल महासंघों तक अपने बाइलॉज में लेना चाहिए जिससे निष्पक्षता बनी रहे। देश के पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की यह पहल अनुकरणीय है।। DTAV के सचिव ,अध्यक्ष एवं अन्य पदाधिकारी बधाई एवं सम्मान के पात्र हैं।।

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