ताइक्वांडो व विभिन्न खेलो मे लोकतंत्र की धज्जिया उडाने वाली तानाशाही
16 से 18 जून एक तरफ जहाँ इंडिया ताइक्वांडो महाराष्ट्र के नासिक वही गुजरात के अहमदाबाद के करीब भारतीय खेल प्राधिकरण के सेंटर पर भी इसी तारीख यानी 16 से 18 जून को आगामी एशियाई खेलो के लिए ट्रायल लिया जा रहा है | कौन सही है किसकी टीम जाएगी? इस सलेक्शन ट्रायल मे किसी एक की तों टीम निश्चित ही नहीं जाएगी और इस प्रकरण मे खिलाड़ियों का जो शोषण हो रहा आर्थिक और मानसिक उसका कौन जिम्मेदार, कुश्ती मे तों खिलाड़ी अपने महासंघ के मुखिया के खिलाफ बैठ गए यहाँ खिलाड़ी किसके खिलाफ जाये क्या करें?
देश मे सरकार खेल को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, खेल मे देश स्वप्निल सुख सुविधाएं दे रही है पर ये फेडरेसन के झगड़े, सत्ता का विवाद, जितना समय खिलाड़ियों के हित मे आज कल खेल संघ नहीं दे रही उससे ज़्यादा कोर्ट कचहरी मे दे रही है इस स्थिति मे क्या ही उम्मीद कर सकते है पर खिलाड़ियों का जो नुकसान हो रहा है, उनका जो आर्थिक और मानसिक शोषण हो रहा है उसका किसी को तों संज्ञान लेना होगा, किसी को तों उनके हित की बात करनी होंगी पर सभी व्यस्त है अपने मस्ती मे क्योंकि विभिन्न फेडरेसन होने के वजह से नुकसान तों सिर्फ खिलाड़ियों का है देश का है पर खेल व्यापारियों का तों बिल्ल्कुल नहीं सभी अपना व्यापार बेहतरीन तरीके से चला रहे है, मनमानी तरीके से सब धन इकठा कर रहे है |
एक नजर अगर वर्तमान ताइक्वांडो की स्थिति पर डाले तों वर्तमान मे देश मे तीन तीन ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ इंडिया चल रही है और एक इंडिया ताइक्वांडो नाम की राष्ट्रीय महासंघ चल रही है तथा इनके तत्वाधान मे राज्य संघ और जिला संघ चल रहे है सभी अपने को श्रेष्ठ, सर्वश्रेष्ठ तथा ईमानदार बताते है और दावा करते है की वों तों अपना सब कुछ न्योछावर कर ताइक्वांडो का भला करने के लिए आये है पर वों ताइक्वांडो का या खिलाड़ियों का भला कर रहे है या ताइक्वांडो की आड़ मे सिर्फ और सिर्फ अपनी काली कमाई इस बात को भी समझने की जरुरत है |
ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) जिसके महासचिव प्रभात शर्मा है उनकी TFI ने उत्तराखंड के देहरादून मे अपनी राष्ट्रीय प्रतियोगिता करवाई है 8 से 11 जून वही दूसरी तरफ ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया के फाउंडर जो वर्तमान मे अपनी ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) के महासचिव है उन्होंने उत्तर प्रदेश के लखनऊ के डी सिंह बाबू स्टेडियम मे 9 से 11 जून तक अपनी राष्ट्रीय प्रतियोगिता करवाई है , दोनों का आयोजन सफल रहा है हज़ारो की संख्या मे खिलाड़ियों ने दोनों ही प्रतियोगिता मे प्रतिभाग किया और लाखो रूपये का कलेक्शन हुवा |
अब तीसरी ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) जिसके महासचिव आर डी मंगेशकर है और जिस ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) को भारतीय खेल मंत्रालय और भारतीय ओलम्पिक संघ ने मान्यता दे रखी है उनकी राष्ट्रीय प्रतियोगिता अगले महीने से होनी है और इंडिया ताइक्वांडो जिसे ताइक्वांडो की अंतराष्ट्रीय महासंघ वर्ल्ड ताइक्वांडो ने मान्यता दे रखी है वों भी अपने राष्ट्रीय प्रतियोगिता की तारीख निर्धारित कर चुकी है पर फिलहाल यह दोनों संस्थाएं आगामी एशियाई खेलो के लिए भारतीय ताइक्वांडो टीम का सलेक्शन ट्रायल 16 से 18 जून मे करा दावा कर रही है की उन्ही की टीम जाएगी एशियाई खेलो मे और जम के करोड़ों रुपये के ताइक्वांडो व्यापार मे सम्मलित है |
इस व्यापार की सबसे बड़ी हास्यास्पद स्थिति इस बात से समझी जा सकती है की एक फेडरेसन टी एफ आई लखनऊ जिसके कर्ता धर्ता जिम्मी आर जगतियानी है उसके राष्ट्रीय अध्य्क्ष श्री कलराज मिश्र जी है जो की राजस्थान के राज्य पाल है, श्री बृजेश पाठक जी जो की उत्तर प्रदेश के उप मुख्य मंत्री और उत्तर प्रदेश ओलम्पिक संघ के चेयरमैन है वों इस टी एफ आई मे वरिष्ठ उपाध्यक्ष है, और उत्तर प्रदेश ओलम्पिक संघ के चेयरमैन जी ने उत्तर प्रदेश मे तीन तीन प्रदेश ताइक्वांडो संघ को रेकगनिसन / मान्यता दे रखी है जिसमे एक उत्तर प्रदेश ताइक्वांडो के महासचिव रजत दीक्षित है जो स्वयं उत्तर प्रदेश ओलम्पिक संघ मे संयुक्त सचिव है वही और बृजेश पाठक जी के नजदीकी पूर्व विधायक व वर्तमान एम एल सी शैलेन्द्र सिंह दूसरे प्रदेश संघ उत्तर प्रदेश ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष है |
इनके अलावा और भी तीन प्रदेश ताइक्वांडो संघ प्रदेश मे पूरी तरह संचालित है यानी कुल 6 प्रदेश संघ उत्तर प्रदेश मे पुरे जोर शोर से अपने ताइक्वांडो व्यापार मे लगे हुए है |
अब इस स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है, कैसे आई आज यह स्थिति इस पर भी एक नजर डाल लेते है :-
ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया का जन्म वर्ष 1976 मे लख़नऊ मे हुवा जिसके फाउंडर श्री जिम्मी जगतियानी ने इसे आगे बढ़या ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) के कर्ताधरता बने रहे | हालांकि बहुत सारे लोंगो का यह भी कहना है की जिम्मी आर जगतियानी से पहले पूरन एन्डरीव गुरुंग ने ऑल इण्डिया ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ इंडिया की स्थापना सिक्किम / नार्थ ईस्ट मे करी पर इनके संस्था को ना तों कभी भारत सरकार से ना भारतीय ओलम्पिक, अथवा एशियन ताइक्वांडो यूनियन ना ही कभी विश्व ताइक्वांडो महासंघ से मान्यता मिली अतः उनकी संस्था विलुप्त हो गई |
जिम्मी आर जगतियानी एक तरफा भारत मे ताइक्वांडो के कर्ता धर्ता बने रहे पर 1998 मे TFI के चुनाव हुए जिसको ले के विवाद हुवा और दो - दो ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) की उत्पत्ति हुई साल 1998 मे श्री हरीश कुमार ने दावा किया की वों चुनाव जीते है अब वों ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) के नये कर्ता धर्ता है वही श्री जिम्मी आर जगतियानी ने ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) का स्वयं को कर्ता धर्ता बताया और कहा की चुनाव गलत हुए है TFI को हाइजैक किया गया है और कोर्ट मे चले गए लखनऊ हाई कोर्ट मे मुकदमा चलता रहा और दोनों ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) अपने अपने को ओरिजनल का दावा करते हुए एक्टिव रहे हरीश कुमार के अध्यक्षता वाली ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) को भारतीय ओलम्पिक संघ और भारतीय खेल मंत्रालय और ताइक्वांडो की अंतराष्ट्रीय महासंघ से मान्यता मिल गई पर जिम्मी जगतियानी वाली ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) कोर्ट केस लड़ती रही, तारीख पर तारीख लेती रही और अपना काम करती रही, जो जिम्मी सर के TFI मे खेलता था उसे हरीश कुमार की TFI मे ब्लैक लिस्ट कर दिया जाता था और ब्लैक लिस्ट हुए व्यक्ति को पुनः हरीश कुमार सर की ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) मे आने के लिए माफ़ी मांगना पड़ता था और दुबारा से रजिस्ट्रेशन करना होता था और दुबारा ब्लैक बेल्ट की फीस देने होती थी अगर ब्लैक बेल्ट है तों और अगर कलर बेल्ट है तों फिर से सारे कलर बेल्ट की 200 रूपये प्रति कलर बेल्ट और 200 रूपये नये आईडी कार्ड के जिसमे खिलाड़ियों की क़ोई गलती नहीं क्योंकि खिलाड़ी तों वही जनता है जो उसे बताया जाता है, जिम्मी सर का पूरा स्वर्णिम इतिहास और यहाँ तक की वर्तमान मे भी उनके ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) के अध्यक्ष श्री कलराज मिश्र जी है राजस्थान के राज्यपाल है, इस तरह के पदाधिकारी की लिस्ट को देख कौन भला शक करें और जाने सच्चाई, और यह सब समझने तक खिलाड़ी जो जिम्मी सर से जुड़ता था वों ताइक्वांडो मे अपने दो से तीन साल दे चूका होता था, खैर ये सब अलग बात है, मुद्दे पर अगर वापस आये तों हरीश कुमार की ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) को मुश्किल स्पोर्ट्स कोड 2011 के आने के बाद हुई, स्पोर्ट्स कोड 2011 के अनुसार क़ोई व्यक्ति अपने तीन टर्म ( एक टर्म की अवधी चार साल ) को पूरा करने के बाद अपने पद पर नहीं बना रह सकता और हरीश कुमार जी के 12 वर्ष पूर्ण हो रखे थे | दूसरा चुनौती यह था कि स्पोर्ट्स कोड 2011 के अनुसार खेल मंत्रालय से मान्यता प्राप्त होने के लिए खेल संघ को अनिवार्य रूप से पंजीकृत होना चाहिए और कम से कम पंजीकरण तीन वर्ष पुराना होना चाहिए और यहाँ पर ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) का पंजीकरण का प्रमाण पत्र जिम्मी सर के पास था हरीश कुमार की ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) के पास क़ोई रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट नहीं था वही स्पोर्ट्स कोड का बहुत विरोध होने के बाद भी उसे लाने मे तत्कालीन खेल मंत्री अजय माकान सफल रहे |
हरीश कुमार जी की अध्यक्षता वाली ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) का पुनः चुनाव हुवा और उनकी पत्नी श्रीमती रेनू महंत जी नहीं अध्यक्ष बनी और श्री हरीश कुमार जी नये चेयरमैन बने ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) के जिसका एक विरोध सामने आया एक नो कॉन्फिडेंस प्रस्ताव ला देश मे तीसरी ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) को तैयार करने का पूरा मजबूत जमीन तैयार किया गया पर इसी दौर मे हरीश कुमार ने अपने ताइक्वांडो प्रशासन मे चुनाव को ले कर एक ऐतिहासिक कार्य किया जो मेरे नजरो मे सिर्फ ताइक्वांडो के लिए नहीं बल्की हमारे देश मे सभी खेल संघो के आदर्श प्रशाशन के लिए नजीर था, खेल संघो के चुनाव विवाद रहित हो इसका एक मॉडल सबके सामने आया, साल 2012 मे एमेजॉन जैसी ऑनलाइन शॉपिंग ऐप हमारे देश मे शक्रिय नहीं थी पर www.tfiindia.com पर सभी खिलाड़ियों का एक एक रिकॉर्ड, ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) के अलग अलग बैंक अकाउंट, ऑडिट वाली फाइनेंस डेटल प्रॉपर, बैलेंस शिट सब कुछ पारदर्शी रूप मे सबके सामने रखी गई, एक आदर्श खेल प्रशाशन के लिए जो भी आवश्यक बाते होनी चाहिए सब कुछ था, और चुनाव के सम्बंध मे सबसे विशेष था जिले मे ट्रेनिंग क्लब को ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) से डाइरेक्ट मान्यता और अनिवार्य नियम की एक जिले मे कम से कम पांच क्लब जब होंगे तभी उसे जिला संघ माना जायेगा, रजिस्टर क्लब के अध्यक्ष और कोच वोट कर के जिला संघ बनाएंगे और जिला संघ के अध्यक्ष और सचिव वोट कर राज्य संघ का चुनाव करेंगे और राज्य संघ के अध्यक्ष व सचिव राष्ट्रीय महासंघ का चुनाव करेंगे | इसके अलवा खिलाड़ियों के सलेक्शन पॉलिसी को भी वेबसाइट पर रखा गया, जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक, भारतीय टीम का सलेक्शन, एक प्रॉपर संविधान, व्यवस्था, एक नियम कानून सार्वजनिक रूप से सबके समक्ष रखा गया जिससे मेरे जैसे व्यक्ति के ऊपर बहुत प्रभाव पड़ा, एक घोर आलोचना करने वाले श्रेणी मे होने के बाद यह सब नई सुव्यस्था देख मै उनका पक्षधर हो गया और दिल से चाहा की प्रॉपर इलेक्शन और सलेक्शन की यह पालिसी बनी रही और चुकी ब्लैक बेल्ट के नाम पर मेरा भी कई बार आर्थिक और मानसिक शोषण हुवा था अतः मैंने प्रॉपर इलेक्शन और सलेक्शन पॉलिसी के साथ साथ जिले स्तर से प्रॉपर पारदर्शी रूप से वित्तीय व्यवस्था के लिए अपनी बात जहाँ संभव हो सके रखने लगा,खैर तीसरी ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया (TFI) अस्तित्व मे आ चुकी थी और देश मे तीन तीन ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ इंडिया पूर्ण रूप से सक्रिय हो गए हरीश कुमार के TFI से अलग जा कर नई TFI को जन्म देने वाले लोंगो ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और वर्ष 2016 मे दूसरी और तीसरी TFI के बिच चुनाव हुवा ( पहली TFI जिम्मी सर इससे बाहर रहे ) और वर्ष 2016 मे इंडियन ओलम्पिक संघ मे महत्वपूर्ण पदाधिकारी श्री आरके आनंद के बेटे चेतन आनंद को अध्यक्ष और झारखंड से प्रभात शर्मा को महासचिव चुना गया और एक साल के अंदर फिर विवाद मे चली गई और पुनः दिल्ली हाई कोर्ट मे फेडरेसन के चुनाव के लिए चक्कर शुरू हो गए आयोजन हुआ चौथी ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया का, हरीशकुमार जी की TFI 2016 के चुनाव के बाद पिक्चर से बाहर हो गई और हरीश सर ने दिल्ली राज्य संघ के अध्यक्ष पद से भी स्तीफा दे दिया |
तीसरी और चौथी ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया की लड़ाई मे पंचतंत्र की दो बिल्लियों और बन्दर वाली कहानी की मोड़ आई जिस प्रकार एक बार दो बिल्लियों को एक बार एक रोटी के लिए लड़ाई कर रही थी और रोटी के बटवारे को ले कर बन्दर के पास गई और बन्दर ने बटवारे के नाम पर सारी रोटी चट कर डी वही हाल कुछ यहाँ हुवा |
भारतीय ओलम्पिक संघ ने TFI के झगडे को समाप्त करने के लिए एडहॉक कमिटी बनाई और एडहॉक कमिटी ने एक नई फेडरेसन बना दी इंडिया ताइक्वांडो और वर्ल्ड ताइक्वांडो तथा एशियन ताइक्वांडो यूनियन से भी मान्यता ले ली, किसी को आश्चर्य हो इस बात का तों हो पर जहाँ करोड़ों रूपये का कैश ट्रांसक्शन हो, क़ोई टैक्स ना देना हो, ब्लैक मनी पुरे तरीके से व्हाइट मे कमाने का मौका हो, पूरा मान सम्मान हो, मंच पर भाषण देने पर सैकड़ो के तादाद मे लोग ताली बजाने के लिए हो, एक सेलिब्रेटी की तरह हर जगह स्वागत सम्मान और दबदवा हो तों किसी का ईमान डगमगायेगा ही सामान्य तौर पर और इसे रोका तभी जा सकता है जब ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया मे अपने आखिरी कार्यकाल के दिनों मे हरीश कुमार जी ने जो पारदर्शिता की व्यवस्था कायम करी थी जिले से ले के राष्ट्रीय महासंघ के चुनाव के लिए, पारदर्शिता के साथ सलेक्शन व्यवस्था हो जिले से ले के राष्ट्रीय स्तर तक की टीम के लिए और पारदर्शी वित्तीय व्यवस्था भी जब कायम हो जिला से ले के राष्ट्रीय महसंघ तक |
दिल्ली उच्च न्यायलय के निर्देशन पर TFI -3 ( प्रभात शर्मा ग्रुप ) और TFI 4 ( आर डी मंगेशकर ग्रुप ) बिच साल 2022 के नवम्बर महीने मे चुनाव हुए जिसमे प्रभात शर्मा जी चुनाव हार गए और वों कोर्ट मे चले गए जिम्मी सर TFI से प्रेरणा ले के अपनी दुकान चलाने के लिए अथवा वास्तविक रूप मे चुनाव थीक से नहीं हुए इस वजह से यह बात आने वाला समय ही साफ करेगा सबके समक्ष |
वही 2019 मे स्थापित इंडिया ताइक्वांडो ने हाल ही मे वर्ष 2023 से 2027 तक के टर्म हेतु चुनाव वर्ल्ड ताइक्वांडो और एशियन ताइक्वांडो यूनियन के देख रेख मे संपन्न कर एशियाई खेलो हेतु सलेक्शन ट्रायल करवा रही उसी (16 से 18 जून ) उसी तारीख मे जिसमे भारतीय ओलम्पिक और भारतीय खेल मंत्रालय से मान्यता प्राप्त ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ इंडिया द्वारा सलेक्शन ट्रायल हो रहे है और साथ ही साथ जिम्मी जगतियानी और प्रभात शर्मा जी द्वारा दो अन्य ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ़ इंडिया भी पूरी तरीके से चल रही है |
भला इनसे क़ोई पूछेगा की ये ब्लैक बेल्ट की कितनी फीस लेते है 20 अमेरकी डालर मे जो एक ब्लैक बेल्ट आ जाती है उसके ये पाँच हज़ार क्यों लेते है, आईडी कार्ड, रेफरी सेमिनार, प्रतियोगिता मे ले जानी वाली फीस यह सब कहा जाती है, ये सब कार्य ताइक्वांडो के भले के लिए किये जा रहे है या स्वयं के लिए |
ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ इंडिया का चुनाव जितने के बाद ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ इंडिया को भारतीय ओलम्पिक संघ व भारतीय खेल मंत्रालय से मान्यता मिलने के पश्चात 2023 मे TFI के सेक्रेटरी जनरल आर डी मंगेशकर जी ने पुराने ब्लैक बेल्ट खिलाड़ियों को पुनः रजिस्ट्रेशन करने की अनिवार्य नियम को लाया जिसमे उन्हें ₹2000 रुपये देने होंगे ताकि वह खेल सके |
जिस ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ इंडिया को भारतीय ओलम्पिक संघ और भारतीय खेल मंत्रालय से मान्यता प्राप्त है उससे सम्बद्द उत्तर प्रदेश ताइक्वांडो संघ को उत्तर प्रदेश ओलम्पिक संघ व उत्तर प्रदेश खेल निदेशालय ( स्पोर्ट्स डिवीज़न ) उत्तर प्रदेश खेल सरकार से भी मान्यता प्राप्त है और वर्तमान समय मे ( 15 से 18 जून 2023) लखनऊ के के डी सिंह बाबू स्टेडियम मे राज्य प्रतियोगिता कराई जा रही है जिसमे लगभग 3700 खिलाड़ी प्रतिभाग कर रहे है , प्रतिभागिता शुल्क 1500 रूपये है , रहने खाने की व्यवस्था लेने हेतु ₹2000 अलग से देना होगा, आईडी कार्ड हेतु ₹600 देने होंगे उसके बाद भी जब अगर कहीं अलग से ब्लैक बेल्ट टेस्ट कराया होगा उसे ₹2000 फिर से देने होंगे, इस प्रतियोगिता मे वाराणसी से बहुत सारे वों खिलाड़ी नहीं खेल रहे है जो पिछली बार इन्ही के प्रतियोगिता मे खेले स्वर्ण पदक जीत प्रदेश के टीम का प्रतिनिधित्व कर राष्ट्रीय प्रतियोगिता मे पदक जीते क्योंकि आज इनसे ₹2000/- फिर से ब्लैक बेल्ट की शुल्क मांगी जा रही है |
देश के नागरिकों को देश का संविधान मौलिक अधिकार देता है की जाती, धर्म, राज्य, रंग, किसी भी प्रकार से किसी के साथ क़ोई भेदभाव नहीं किया जा सकता पर कोरिया मे स्थित कुक्कीवोंन जिसे वर्ल्ड ताइक्वांडो हेडक़्वार्टर कहा जाता है, ब्लैक बेल्ट की डिग्री सभी वही से लेते है और हमारे देश मे सभी के पास वही की डिग्री है पर इसके बाद भी भेदभाव किया जाता है, की हमारे माध्यम से डिग्री नहीं ली है तों हम नहीं मानेंगे आप की डिग्री, आपको खेलना है तों पुनः लाइए ₹2000 इसके लिए |
श्री आर डी मंगेशकर जो काम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर गोवा मे लोकसभा का चुनाव लड़ चुके है आज ताइक्वांडो फेडरेसन ऑफ इंडिया के महासचिव पद का चुनाव जीते है और उन्हें खेल मंत्रालय और भारतीय ओलम्पिक संघ से मान्यता भी मिली हुई है तों कम से कम उनसे यह उम्मीद थी को सबके साथ सबके विकास का फार्मूला अपनाएंगे पर पुराने ब्लैक बेल्ट खिलाड़ियों से पुनः ₹2000/- का चार्ज लेना कुछ भी अलग की उम्मीद समाप्त कर दी, जिसको भी मौका मिला है सभी ने दोनों हाथो से खूब धन बटोरने की कोशिश करी है |
लोग सिगरेट के पैकेट पर मुँह का कैंसर होने का खतरा लिखा देख कर भी जैसे उसे पिने वाले अपनी तलब के लिए उसे पीते है उसी प्रकार खिलाड़ी और कोच देश के लिए खेलने और बड़ा खिलाड़ी बनने के लिए सब कुछ चुपचाप सहते हुए खेलते है |
आखिर कब तक इस तरह से खिलाड़ियों का आर्थिक और मानसिक शोषण चलेगा |
वर्षो देश की बतौर फुटबॉल कप्तान अपनी सेवा देने वाले भाईचुग भूटिया को चुनाव लड़ने के लिए कितनी जहमत करनी पड़ी तो आम लोग के लिए यह कितना मुश्किल भरा होगा इसे सहज़ ही समझा जा सकता है | कब हमारे देश मे लोकतान्त्रिक रूप से जिले से ले क़र राष्ट्रीय स्तर तक खेल संघो मे पारदर्शी रूप से चुनाव होंगे, कब पारदर्शिता के साथ खिलाड़ियों का प्रतियोगिता के लिए चयन होगा |
खैर उत्तर प्रदेश मे ताइक्वांडो को विवाद रहित बनाने वाले पूर्व अंतराष्ट्रीय ताइक्वांडो खिलाड़ी डॉक्टर सय्यद रफत ज़ुबैर रिज़वी की जितनी भी तारीफ की जाये वों कम है, इंडिया ताइक्वांडो से सबद्ध उत्तर प्रदेश ताइक्वांडो मे अध्यक्ष पद पर कार्यरत होते हुए उन्होंने अपने पद से स्तीफा दिया और उत्तर प्रदेश ताइक्वांडो संघ को बतौर चेयरमैन ज्वाइन किया और साथ ही साथ उत्तर प्रदेश ताइक्वांडो संघ को उत्तर प्रदेश ओलम्पिक संघ और उत्तर प्रदेश खेल निदेशालय से ऑफिलिएट करवाया |













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