ज्ञात दुनियां में सबसे नन्हीं उम्र का गाइड ’ फीस मात्र 10 रूपए ’


ये संस्मरण मेरे पिता जी है और उन्ही द्वारा लिखा गया 




मेरी ज्ञात दुनियां में सबसे नन्हीं उम्र का गाइड

    ’ फीस मात्र 10 रूपए ’

  फतेहपुर सीकरी के महल परिसर में लगभग पौने दो घण्टे तक भ्रमण करने के पश्चात हम वहां से निकल रहे थे, यह सोचते हुए कि बुलंद दरवाजे पर एक दो फोटो खींचकर वहां से फिर निकल चलेंगे। फतेहपुर सीकरी के पूर्वी भाग में महल परिसर और पश्चिमी भाग में जामा मस्जिद परिसर है। जामा मस्जिद का पश्चिमी प्रवेश द्वार  बुलंद दरवाजे के रूप में है और पूर्वी प्रवेश द्वार महल परिसर की तरफ निकलता है।

   महल परिसर से निकलकर जब मैं पूर्वी प्रवेश द्वार के पास पहुंचा तो मुझे एक आबनूसी रंगत लिए एक कमजोर से दिखने वाले आठ नौ साल के बच्चे की आवाज सुनाई पड़ी । अंकल जी आप मेरे साथ  आओ, हम आपको 10 रूपए में इधर पूरा घुमाएंगे । लेकिन बेटा हम तो घूम चुके हैं और हमें अब नीचे उतरना है। कैब ड्राइवर हमारा इंतजार कर रहा था और दो घण्टे से ज्यादा समय व्यतीत होने पर गाड़ी पार्किंग का 100 रुपया और अधिक देना पड़ता। बच्चे ने फिर आवाज़ दी, चलिए अंकल जी हम आपको बहुत अच्छी जगह ले चलेंगे, वहा से फोटो बहुत अच्छा आता है और हम आपको अनारकली की गुफा भी दिखाएंगे। ना चाहते हुए भी मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई और मैं सोचने लगा अनारकली तो इतिहास में कही नही है,कम से कम फतेहपुर सीकरी के इतिहास में। एक अनारकली की कब्र लाहौर में है जो 1599 की बनी हुई हैं। यहां तो 1585 में ही खाली कर दिया गया था तो फिर यहां कौन सी अनारकली की गुफा आ गई और जिसे मैंने नहीं देखा है। मैंने उस बच्चे के साथ जाने का फैसला किया।





     फतेहपुर सीकरी परिसर में पर्यटकों के साथ कई बार दुर्व्यवहार की घटनाएं भी हो चुकी है।मै यह सब भी सोच रहा था, महल परिसर में तो टिकट लगते हैं मगर जामा मस्जिद परिसर में कोई टिकट नहीं है। शेख सलीम चिश्ती की दरगाह पर मन्नत के धागे बांधने के लिए लोग पहुंचे रहते हैं। इसमें कई फर्जी गाइड बनकर इधर उधर घूमते रहते हैं और पर्यटकों को परेशान करते रहते हैं।

  उस बच्चे के अन्दर सुनकर और देखकर सीखने की अद्भुत क्षमता थी। वहा पर प्रोफेशनल गाइड को पर्यटकों को गाइड करते हुए देखकर उन्हे ध्यान पूर्वक सुना करता था और बहुत कुछ उसने सुनकर ही सीखा था। कुछ ऐसे पॉइंट जहां पर अच्छे फोटोग्राफ लिए जा सकते थे, उसके जेहन में कैद थे। उसने अपनी जिंदगी में कभी फोटो नहीं खींचा था लेकिन लोगों को फोटो खींचते देख देख कर उसने सब कुछ समझ लिया था।

   जैसे ही मैंने अपने नन्हें गाइड के पीछे चलना शुरू किया, वैसे ही आधे दर्जन से अधिक बच्चे , कुछ के हाथ में माला तो कुछ के हाथ में ताज की प्रतिकृति थी, बेचने की कोशिश करने लगे। उसने मुझे कुछ भी खरीदने से मना किया और कहा कि आप सभी का नहीं खरीद सकते, और आप ने ऐसी कोशिश की तो आप को ये सब कंगाल कर देगे। मैं उसे गाइड धर्म का निर्वाह करते हुए देख रहा था और सोच रहा था कि इसे दुनियादारी की काफी समझ हो चुकी है। सच है विपत्ति के विद्यालय का प्रशिक्षण दुनियां के किसी भी विश्वविद्यालय की शिक्षा से बड़ी होती है।




    अगले 20 से 25 मिनट तक हम उसके साथ थे। अंधेरा हो रहा था। मोबाइल की रोशनी का उपयोग करते हुए सलीम चिश्ती की मजार के पास स्थित इस्लाम शाह की मजार के पीछे की ओर हम गए। बरामदे से आगे बढ़ कर दाहिने मुड़कर हमने वो तथाकथित गुफा देखी, जिसे अनारकली के नाम के साथ जोड़ा जा रहा था।

   देखकर सीखे गए अपने अनुभव के आधार पर उसने हमलोगो के कई फोटोग्राफ खींचे। सचमुच उसमे से कई तो बहुत अच्छे हैं।

   चलते समय मैंने उससे पूछा कि तुम्हारा नाम क्या हैं। उसने बताया सकीना। अरे ये तो लड़कियों का नाम है! हा मैं लड़की हूं।  मैंने उससे कहा कि वह बहुत कुछ जानती है, अब वो मुझे ये बता दें कि ख़ानवा का मैदान कहां हैं। मैंने देखा ’ न जानने की पीड़ा उसके चेहरे पर उभर आई थी। मैंने उसे कहा, चलो कोई बात नहीं, आओ मैं तुम्हें दिखाता हूं। बुलंद दरवाजे पर ले जाकर मैंने उसे खड़ा कर दिया और  कहा अपने सामने देखो ये जो कुछ भी सामने से होते हुए बाई ओर तक दिख रहा है, यही खानवां का मैदान है। यही पर राणा सांगा और अकबर के दादा बाबर का युद्ध हुआ था, अपनी जानकारी में ये भी जोड़ लो।





  अंधेरा घिर रहा था, मुझे निकलने की जल्दी थी। मैंने उसकी फीस पूछी तो उसने नज़रे नीचे कर ली। मैं लिखना नहीं चाहता लेकिन मैं लिख रहा हूं मैंने उसे 50 रूपए के दो नोट दिए और वहां से निकल पड़ा, कैब का ड्राइवर नीचे हमारा इंतजार कर रहा था ।

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