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Showing posts from 2023

आज का नया भ्रस्टाचार : क्या सही क्या गलत

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 यु तो हर गली हर नुक्कड़ पर लोग मिल जायेगे सही और गलत की चर्चा करते हुए, सरकार की भ्रस्टाचार उजागर करते हुए पर वह स्वयं इसमें कितने लिप्त है, वों स्वयं कितने भ्रस्टाचारी है इसका शायद किसी को अंदाजा नहीं होता या यु कहे की स्व अवलोकन करने की फुर्सत नहीं | ऐसे मे महान संत कबीर दास जी का एक दोहा बड़ा ही उपयुक्त समझ आता है  :-      बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय । जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय ।। वर्तमान मे संपन्न हुए एशियाई खेलो मे हमारे देश ने शानदार उपलब्धि हासिल करी, एक देश के रूम हमने पहली बार एशियाई खेलो मे 100 से अधिक पदक जीते |  सरकार द्वारा खेलो के लिए किये जा रहे खेलो के लिए कार्यों की आलोचना तो अब विपक्षी पार्टी के लोग भी मुश्किल से क़र पा रहे है पर नुस्क निकालने वालो की कहा कमी, ऐसे नहीं करना चाहिए, वैसे नहीं करना चाहिए इत्यादि इत्यादि पर इन एशियाई खेलो मे बहुत सारे राष्ट्रीय फेडरेशन द्वारा विवाद होने के चलते, खिलाड़ियों के चयन मे बहुत समस्या आई, ताइक्वांडो जैसे खेल मे जहाँ राष्ट्रीय पटल पर एक साथ चार चार राष्ट्रीय महासंघ ने जो अपनी दावेदार...

ताइक्वांडो व विभिन्न खेलो मे लोकतंत्र की धज्जिया उडाने वाली तानाशाही

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 16 से 18 जून एक तरफ जहाँ इंडिया ताइक्वांडो महाराष्ट्र के नासिक वही गुजरात के अहमदाबाद के करीब भारतीय खेल प्राधिकरण के सेंटर पर भी इसी तारीख यानी 16 से 18 जून को आगामी एशियाई खेलो के लिए ट्रायल लिया जा रहा है | कौन सही है किसकी टीम जाएगी? इस सलेक्शन ट्रायल मे किसी एक की तों टीम निश्चित ही नहीं जाएगी और इस प्रकरण मे खिलाड़ियों का जो शोषण हो रहा आर्थिक और मानसिक उसका कौन जिम्मेदार, कुश्ती मे तों खिलाड़ी अपने महासंघ के मुखिया के खिलाफ बैठ गए यहाँ खिलाड़ी किसके खिलाफ जाये क्या करें? देश मे सरकार खेल को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, खेल मे देश स्वप्निल सुख सुविधाएं दे रही है पर ये फेडरेसन के झगड़े, सत्ता का विवाद, जितना समय खिलाड़ियों के हित मे आज कल खेल संघ नहीं दे रही उससे ज़्यादा कोर्ट कचहरी मे दे रही है इस स्थिति मे क्या ही उम्मीद कर सकते है पर खिलाड़ियों का जो नुकसान हो रहा है, उनका जो आर्थिक और मानसिक शोषण हो रहा है उसका किसी को तों संज्ञान लेना होगा, किसी को तों उनके हित की बात करनी होंगी पर सभी व्यस्त है अपने मस्ती मे क्योंकि विभिन्न फेडरेसन होने के वजह से नुकसान तों सिर्...

भारतीय खेल संघो की राजनीती

  भारतीय खेल संघो की राजनीति मे कितना दबदबा और मसाला है वों इस बात से साफ समझी जा सकती है भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तों वों गुजरात क्रिकेट संघ के भी अध्यक्ष रहे, वर्तमान मे आसाम के मुख्यमंत्री श्री हेमंत विश्व शर्मा जी भारतीय बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष है और इसी तरह ना जाने कितने लोग है पर क्या वों उसी तरह से चुने जाते है जिस प्रकार से सांसद और विधायक चुने जाते है, क्या आम जनता या खेल से जुड़े हुए लोग उनका अवलोकन, उनके काम काज का जिक्र उसी तरह से करते है जिस प्रकार से करते है जैसे एक सांसद विधयाक का करते है तों इसका जवाब है दूर दूर तक नहीं | लोकतान्त्रिक देश मे खेल संघो मे चुनाव व कई मामलो मे लोकतान्त्रिक व्यवस्था का धज्जिया उड़ाते हुए देखा जा सकता है पर चुकी मिडिया और लोगो के बिच मे इतनी चर्चा नहीं होती अतः यहाँ पर अक्सर जो लोग ज़्यादा ताकतवर होते है उनका बोलबाला कायम रहता है जिसे हम आम बोल चाल मे "जिसकी लाठी उसकी भैस" कहवात का सटीक पर्याय कह सकते है | 18 जनवरी 2023 क़ो ओलम्पिक मे देश क़ो पदक दिलाने वाले और तमाम अंतराष्ट्रीय कुश्ती प्रतिय...

India & Olympics : How Far & How Close

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 India & Olympics; How Far & How Close India has always been a nation that loved sports and has always been among the Nations that are not just sports-loving nations but also sports-playing nations India & Olympics are not two words that complement each other. India has been a country that is known for its outstanding achievements in Hockey winning 8 Olympic Gold out of which 6 have been in a row. Just after independence in 1948 Olympics 79 athletes all men in 10 sports represented the country and won Gold in the field of Hockey. In 1952 Olympics a total of 64 athletes out of which 4 were women participated in 11 games. India as a Nation won a Gold in Hockey and K. D. Singh Jadhav won a Bronze medal in wrestling, ranked 26th position with two medals. Indian football team finished fourth and there had been a few more times where we missed an Olympic medal just by a few inches. If we deep dive into the facts and potential of our athletes and specifically geographical as w...

आखिर कब कब होंगे गणतंत्र हमारे देश के खेल संघ

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हाल ही मे हम सभी देशवाशियों ने 74वा गणतंत्र दिवस मनाया पर आजादी के इतने वर्षो बाद भी हम कितने गणतंत्र हो पाए हैं विशेषकर हमारे देश मे खेल प्रशासन कितना गणतंत्र हैं | हमारे देश मे जितने भी खेल कूद की संस्थाएं हैं कितनी नियमो का पालन करती हैं, खेल संघो और उनके प्रशाशनिक अधिकारियो मे कितनी खेल भावना हैं, व्यवस्थाएं कितनी गणतंत्र हैं आज देश मे सिर्फ खेल प्रेमियों क़ो नहीं सभी देश वाशियों क़ो सोचना चाहिए | ओलम्पिक मे व अन्य ढेरो अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता मे देश का नाम रौशन करने वाले खिलाड़ी गणतंत्र दिवस के कुछ दिन पहले अचानक से धरना पर बैठ जाते हैं, जिसको एक राजनैतिक मोड़ देने की भी पूरी कोशिश होती हैं लेकिन धरने पर बैठे पहलवान इससे साफ मना कर देते हैं और राजनैतिक लोगो से उचित दुरी इस मुद्दे पर रखते हैं | पहलावानों ने कुस्ती संघ के अध्यक्ष श्री ब्रिजभूषण शरण सिंह पर गंभीर आरोप लगाए व खेल मंत्रालय से गुजारिश करी क़ो वों फेडरेसन क़ो भंग कर, मंत्रालय के अंदर डाइरेक्ट रख संचालन करें | कुछ ही दिनों मे पहलवानो ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के आश्वाशन पर अपना धरना ख़त्म भी किया और खेल मंत्रालय और सरकार इस मस...